केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश के कोचिंग संस्थानों को दिशा-निर्देश दिए है। इन दिशा निर्देश की पालना करते हुए कोचिंग संस्थानों चलाना होगा। शिक्षा मंत्रालय ने यह दिशा-निर्देश देश में सुसाइड के बढ़ते मामलो, आग की घटनाओं, सुविधाओं की कमी और उनकी शिक्षण पद्धति के बारे में मिली शिकायत के कारण जारी किए है।
अब देश में कोचिंग करवाने वाले कोचिंग संस्थानों द्वारा 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना यहाँ प्रवेश नही दिया जा सकता है। कोचिंग संस्थानों में प्रवेश वे बच्चे ही ले सकेंगे जो की अपनी 10वीं कक्षा पूरी कर चुके है यानि की अब कोचिंग संस्थानों में नामांकन सेकंडरी के बाद हो सकेगा।
इसके साथ ही कोचिंग संस्थान एक दिन में अधिकतम पांच घण्टे ही क्लासे ले सकेंगे। इससे अधिक समय के लिए कोचिंग संस्थान बच्चो की क्लासे नही ले सकते है। इसके साथ ही यह भी ध्यान में रखना होगा की कोचिंग का समय ना तो सुबह जल्दी हो और ना ही देर रात तक के लिए हो।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने देश के विभिन्न कोचिंग संस्थानों के लिए यह नए दिशा-निर्देश जारी किए है। दिशा-निर्देश के मुताबिक कोचिंग संस्थानों की गतिविधियों को निगरानी के लिए सभी राज्य सरकारे जिम्मेदार रहेंगी।
वे समय समय पर अपने राज्य के कोचिंग संस्थानों का ब्यौरा भी करेगी। कोचिंग संस्थानों की निगरानी सक्षम अधिकारी द्वारा की जाएगी। कोचिंग सेंटर में पूछताछ के लिए भी सक्षम अधिकारी बाध्य होंगे। मांगे जाने पर कोचिंग संस्थानों को अपनी सालाना रिपोर्ट भी दिखानी होंगी।
आइये जानते है आज के इस आर्टिकल के माध्यम से शिक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी दिशा निर्देशों के बारे में पूरी खबर, आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
शिक्षा मंत्रालय का कोचिंग संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश
कोचिंग संस्थानों के लिए शिक्षा मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए है। इन दिशा-निर्देश के तहत अब कोचिंग संस्थानों को अपनी कोचिंग को चलाना होगा। शिक्षा मंत्रालय के इन दिशा-निर्देशों की अवेहलना नही की जा सकती है।
ऐसा करने पर कोचिंग संस्थान पर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा मंत्रालय ने कहा की अब कोचिंग संस्थान ग्रेजुएट से कम योग्यता रखने वाले शिक्षकों को पढ़ाने के लिए नही रख सकेंगे।
कोचिंग संस्थानों द्वारा बच्चों के अधिक से अधिक नामांकन करवाने के लिए उनके माता-पिता या अभिभावक को अच्छे अंक या रैंक की गारंटी, भ्रामक वादे नही दे सकेंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि अब कोचिंग संस्थान अपनी गुणवत्ता, सुविधाएं, अपने यहाँ छात्रो की अच्छी रैंक के बारे में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दावा भी नही कर सकेंगे। कोचिंग संस्थान अपना पंजीकृत तभी ले सकेंगे जब वे इन नियमो के पालन की प्रणाली करता है।
शिक्षा मंत्रालय के इन दिशा निर्देशों का मुख्य उद्देश्य कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए कानूनी ढाँचे की जरूरत को पूरा करना और इनकी बढ़ती संख्या को रोकना।
छात्र बीच में कोर्स छोड़े तो बची फीस लौटानी होंगी
- कोचिंग संस्थान ऐसे व्यक्ति को पढ़ाने के लिए नही रख सकते है जो की नैतिक कदाचार से जुड़े अपराध का दोषी ठहराया गया हो।
- कोचिंग संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर शिक्षकों की योग्यता, पाठ्यक्रम, अवधि, छात्रावास की सुविधा और फीस का विवरण आदि के बारे में बताना होगा।
- कोचिंगों को तनाव से निपटने के लिए तंत्र बनाना होगा।
- हर बच्चे को फीस की रसीद देनी होगी। बच्चे यदि बीच में अपना कोर्स छोड़ दे तो बची अवधि की फीस लौटानी होगी। यानी फीस पारदर्शी और तार्किक हो।
स्कुल के समय में कोचिंग नही चलेगी
- स्कुल के समय के कोई भी कोचिंग संस्थान चालु नही रहेंगे। ताकि डमी स्कूलों से बचा जा सके।
- 50 से अधिक छात्र जहाँ पढ़ते है उसे ही कोचिंग सेंटर माना जाएगा।
- कोचिंग में खेल, थियेटर, नृत्य और अन्य रचनात्मक गतिविधि नही होंगे।
- कोचिंग रजिस्टर्ड जगह पर ही चल सकेंगे।
- छात्रों और शिक्षकों को एक दिन का साप्ताहिक अवकाश देना होगा। अवकाश के अगले दिन कोई टेस्ट नही होगा।
- त्योहारों के दिन अवकाश ऐसे तय हो की बच्चे परिवार के साथ रह सके।
- मोजूदा कोचिंग को तीन महीने में पंजिकरण के लिए रजिस्टर्ड करवाना होगा।
- पंजीकरण के बाद ही कोचिंग शुरू होंगे।
- कई ब्रांच है तो सब के अलग यूनिट होंगे।
- कॉचिंग में जहाँ भी जरुरी हो वहाँ सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए
- छात्र शिक्षक का अनुपात सही रखना होगा।
- छात्रों के टेस्ट का परिणाम सार्वजनिक नहीं होगा।
- किसी एक कोर्स की फीस लेने के बाद बढ़ाई नही जा सकेगी।
- बच्चो को नोट्स और पाठ्यक्रम सामग्री बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के देनी होंगी।
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